रविवार, 5 अप्रैल 2020

राष्ट्रीय दीप प्रज्वलन 9@9 मिनट

दीप दर्शन

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।

शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।


दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।

दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।

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शुक्रवार, 13 मार्च 2020

विपिन कुमार चतुर्वेदी

रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र



जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥



जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥
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गुरुवार, 14 नवंबर 2019

जिंदगी लाइव

“अपने लक्ष्य को ऊँचा रखो और तब तक मत रुको जब तक आप इसे हासिल नहीं कर लेते है।  
“जिनमें अकेले चलने का होंसला होता हैं, उनके पीछे एक दिन काफिला होता हैं।”
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“जिंदगी में किसी से अपनी तुलना मत करो जैसे चांद और सूरज की तुलना किसी से नहीं की जा सकती क्योकि यह अपने समय पर ही चमकते है।”
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“दुनियाँ में दो तरह के लोग होते है एक वो जो दुनियाँ के अनुसार खुद को बदल लेते है और दूसरे वो जो खुद के अनुसार दुनियाँ को बदल देते है।”
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“आप हमेशा इतने छोटे बनिये की
हर व्यक्ति आपके साथ बैठ सके,
और आप इतने बड़े बनिये की
आप जब उठे तो कोई बैठा न रहे।”
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ये क्या सोचेंगे? वो क्या सोचेंगे? दुनिया क्या सोचेगी? इससे ऊपर उठकर कुछ सोच, जिन्दगीं सुकून का दूसरा नाम हो जाएगी”
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“यदि किसी काम को करने में डर लगे तो याद रखना यह संकेत है, कि आपका काम वाकई में बहादुरी से भरा हुआ है।”
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“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”
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“सिर्फ मरी हुई मछली को पानी का बहाव चलाती है जिस मछली में जान होती है वह अपना रास्ता खुद बनाती है।”
                                                                                                                       आपका
                                                                                                                    विपिन चौबे
                                                                                                            

रविवार, 12 मई 2019

Happy MOTHER'S Day

In a world where everything comes with a tag of condition applied, a mother-child relation is the only bond which knows no boundaries and no laws. A mother's love for her child is unconditional and incomparable. She is the only one who stands by her child's side no matter what the situation is and plays the role of both the greatest critic and the biggest fan. In no way, one can repay what a mother does for her child.
The least we all can do is acknowledge and admire her for everything she has done for us. This Mother's Day, therefore, is your chance to make her feel a little special and loved. And to help you with it, here is how you can wish her on this special day in different Indian languages.

मंगलवार, 7 मई 2019

गोण्डा का इतिहास

गोण्डा जनपद उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वांचल में घाघरा नदी के उत्तर देवीपाटन मण्डल गोण्डा में स्थित है। जनपद के पूरब की सीमा पर जनपद बस्ती, पश्चिम में जनपद बहराईच उत्तर में जनपद बलरामपुर तथा दक्षिण में फैजाबाद व बाराबंकी जनपद स्थित है। विश्व के मानचित्र में जनपद गोण्डा 26.41 से 27.51 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 81.30 से 82.06 पूर्वी देशान्तर के मध्य में अवस्थित है।
जनपद का कुल क्षेत्रफल 4003 वर्ग कि0मी0 है जो देवीपाटन मण्डल के कुल क्षेत्रफल का 28.13 प्रतिशत है। इस जनपद में 04 तहसीलें गोण्डा, मनकापुर, करनैलगंज एवं तरबगंज है। इन तहसीलों में तहसील गोण्डा का क्षेत्रफल 1249.48 वर्ग कि0मी0, तहसील मनकापुर का 763.70 वर्ग कि0मी0, तरबगंज का 963.31 वर्ग कि0मी0 व करनैलगंज का 1026.51 वर्ग कि0मी0 है। इस प्रकार जनपद गोण्डा के कुल क्षेत्रफल का 31.21 प्रतिशत तहसील गोण्डा, 19.07 प्रतिशत तहसील मनकापुर, 24.06 प्रतिशत तहसील तरबगंज व 25.64 प्रतिशत तहसील करनैलगंज का क्षेत्रफल है।
जनपद में बाराही देवी, खैराभवानी तथा शंकर जी दःुखहरन नाथ एवं पृथ्वीनाथ मंदिर अपनी धरोहर दीर्घकाल से संजोये हुये है। जनपद पूर्वी जनपदों से काफी पिछड़े जनपद में आता है। तहसील करनैलगंज व तरबगंज सरयू, घाघरा की तलहटी में बसा है, यही कारण है कि इस क्षेत्र में बाढ़ एवं सूखे की बराबर सम्भावना बनी रहती है। फिर भी प्राकृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र उपजाऊ है।
जनपद अपने एतिहासिक गौरव को संजोये हुये है। भारत की स्वतंत्रता आन्दोलन में यह जनपद अग्रहणी रहा है। यहाँ के राजा देवीबक्श सिंह एक वीर योद्धा व देशभक्त राजा थे जिन्हों स्वतंत्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते अपने जीवन को एवं अपने परिवार को न्योछावर कर दिया। उनका बनवाया हुआ सागर तालाब आज भी नगर की शोभा बड़ा रहा है।
जनपद में घाघरा, सरयू एवं कुआनो तीन प्रवाहिनी नदियाँ हैं। इसके अतिरिक्त बिसुही, मनवर व टेढ़ी मौसमी नदियाँ हैं। घाघरा नदी जनपद की दक्षिणी सीमा बनाती हुयी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। सरयू नदी जनपद के दक्षिण पश्चिम दिशा से विकास खण्ड करनैगंज में प्रवेश करती हुयी पसका के पास घाघरा नदी में मिल जाती है। यह सरयू का ऊपरी मैदान के अन्तर्गत गोनार्द आता है। गोनार्द जहाँ गायें कुलेल करती हैं-गावः नर्दन्ति यत्र तत्र गोनर्दम का उल्लेख कई जगह आया है। पाणिनी की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखने वाले महर्षि पतांजलि अपने को गोनार्दीय लिखते हैं। ‘कामसूत्र’ में भी गोनार्दीय मत का उल्लेख किया गया है। यह क्षेत्र वनों से अच्छादित था। कहा जाता है कि कौशल राजा की यह गोचर भूमि थी। इक्ष्वाकुवंशीय राजा दिलीप ने इसी क्षेत्र में नन्दिनी की सेवा की थी। वशिष्ठ ऋषि का आश्रम इसी क्षेत्र में था। अयोध्या के नजदीक होने के कारण ऋषि मुनियों का आवागमन एवं तप करने का स्थान यह क्षेत्र रहा है।

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

Education System

Education is the process of facilitating learning, or the acquisition of knowledgeskillsvaluesbeliefs, and habits. Educational methods include storytellingdiscussionteachingtraining, and directed research. Education frequently takes place under the guidance of educators vipinchaubey.blogspot.comand also learners may also educate themselves.[1] Education can take place in formal or informal settings and any experience that has a formative effect on the way one thinks, feels, or acts may be considered educational. The methodology of teaching is called pedagogy.
Formal education is commonly divided formally into such stages as preschool or kindergartenprimary schoolsecondary school and then collegeuniversity, or apprenticeship.
right to education has been recognized by some governments and the United Nations.[2]In most regions, education is compulsory up to a certain age.vipinchaubey.blogspot.com